Monday 22 March 2021

कुछ ऐसे उपयोगी आविष्कार जो भारत में हुए।

कुछ ऐसे उपयोगी आविष्कार जो भारत में हुए।

ये लेख खासतौर से उन के लिए है जिनका ये मानना है कि भारत ने किसी चीज का अविष्कार नहीं किया और इसका कारण मेरे अनुसार यह है कि इन सबके बारे में कभी लोगों को अवगत नहीं कराया गया और न उन्होंने जानने की कोशिश की पर अब जानिये कि वे अविष्कार कौन से हैं।

1. बटन
बिना बटन के कपड़ों की परिकल्पना नहीं की जा सकती। पहली बार बटन का उपयोग सिन्धु घाटी की सभ्यता के नगर मोहनजोदड़ो के लोगों ने किया था। यह बात ईसा से करीब 2 हजार साल पहले की है।

2. शतरंज
भारत में शतरंज का इतिहास बहुत पुराना है। इस खेल को चतुरंग के रूप में जाना जाता रहा है। इसका आविष्कार 6ठी सदी में गुप्त राजवंश के दौरान किया गया था। उस दौरान यह राजाओं, महाराजाओं का खेल हुआ करता था। बाद में यह जन-साधारण के खेल के रूप में लोकप्रिय हुआ।

3. स्केल
रूलर स्केल का आविष्कार सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान हुआ था। मोहनजोदड़ो की खुदाई में हाथी दांत के बने हुए स्केल मिले हैं, जो वाकई अद्भुत हैं।

4. शैम्पू
शैम्पू शब्द दरअसल, चम्पू शब्द का अपभ्रन्श है। सिर में तेल लगाकर मालिश की परम्परा बंगाल में 17वीं सदी में शुरू हुई थी। बाद के दिनों में शैम्पू के तौर पर इस परम्परा का विकास हुआ था।

5.  सांप-सीढी का खेल
सांप और सीढ़ी के खेल का आविष्कार भारत में हुआ था। बाद में इस खेल को अंग्रेज अपने साथ ले गए, जिन्होंने अमेरिका के लोगों से इसका परिचय कराया था।

6. कपास की खेती
ईसा से 2 हजार साल पहले सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग सूती कपड़ों का इस्तेमाल करते थे। जी हां, उस समय इन इलाकों में कपास की खेती होती थी और बकायदा सूती कपड़ों का निर्माण होता था। हम गर्व से कह सकते हैं कि दुनिया को भारतीयों ने कपड़ा पहनाना सिखाया था।

7. शून्य और दशमलव
शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत में हुआ था। महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने शून्य और दशमलव की खोज की थी। ब्रह्मगुप्त ने उनके इस काम को आगे बढ़ाया था।

8. ताश का खेल
भारत में ताश के खेल को क्रीड़ा पत्रम कहा जाता था। बाद में इस खेल का प्रचार-प्रसार चीन तक हुआ। जहां के लोगों ने इसे अधिक विकसित किया।

9. मोतियाबिन्द ऑपरेशन
भारतीय चिकित्साशास्त्र के रचयिता सुश्रुत ने ईसा से 6 सौ साल पहले मोतियाबिन्द की शल्यचिकित्सा को अंजाम दिया था। बाद में इस कला का विस्तार चीन तक हुआ। दस्तावेजों के मुताबिक ग्रीस के चिकित्सक इस विधि को सीखने के लिए भारत तक आए थे।

10. हीरे का खनन
करीब पांच हजार साल पहले भारतीय हीरे का इस्तेमाल किया करते थे। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश था, जहां हीरे के बारे में लोगों को जानकारी थी। ब्राजील में पहली बार हीरे के बारे में 18वीं में पता चला था।

11. चान्द पर पानी
इसरो के चन्द्रयान 1 ने पहली बार पता लगाया था कि चान्द सिर्फ एक टीला भर नहीं, बल्कि यहां पानी भी उपलब्ध है।

12. रेडियो, वायरलेस कम्युनिकेशन
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मारकोनी को वायरलेस टेलीग्राफी की खोज में उनके योगदान के लिए वर्ष 1909 में भौतिकी के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन इससे करीब 14 साल पहले भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चन्द्र बोस ने वर्ष 1895 में ही इसका आविष्कार कर लिया था। इस घटना के दो साल बाद मार्कोनी ने लंदन में इस खोज का प्रदर्शन किया था।

13. फ्लश टॉयलेट
पहली बार इस तरह के टॉयलेट का इस्तेमाल सिन्धु घाटी की सभ्यता के लोगों ने किया था। मोहनजोदड़ो दरअसल एक पूरी तरह से विकसित नगर था, जहां निकसी व्यवस्था अतुलनीय थी। इस सभ्यता के लोग हाइड्रोलिक इन्जीनियरिंग में माहिर थे।

14. स्याही
ईसा से करीब 4 सौ पहले भारतीयों ने लिखने के लिए स्याही की खोज कर ली थी। दक्षिण भारत में स्याही और नुकीले पेन से लिखने की प्राचीन परम्परा रही है।

15. लोहा, इस्पात का आविष्कार
आयरन मैन नई चीज है। प्राचीन भारत में लोहा और इस्पात के शानदार उपयोग के बारे में उल्लेख है। पश्चिमी जगत को लोहे जब पता चला उससे करीब 2 हजार साल पहले से भारतीय इसका उपयोग करते आ रहे थे।

16. फाइबर ऑप्टिक्स
भारत के डॉ. नरिन्दर सिंह कापानी को फाइबर ऑपटिक्स टेक्नोलॉजी का पिता कहा जाता है।

17. प्लास्टिक सर्जरी
जी हां, प्लास्टिक सर्जरी पहली बार भारत में की गई थी। वह भी, ईसा से करीब 2 हजार साल पहले।

इतिहास गवाह है कि भारत हमेशा से ही एक महान आविष्कारक देश है।

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Friday 27 September 2019

दुनिया का सबसे प्राचीन पुल है रामसेतु।

 राम सेतु दुनिया का सबसे प्राचीन पुल है।
कई वामपंथी लोग राम के अस्तित्व पर सवाल उठाकर उनकी कथा कहानियों रामचरितमानस को काल्पनिक बताते हैं लेकिन नासा ने अंतरिक्ष सैटेलाइट से कुछ फोटोग्राफ्स भेजी हैं जिससे रामसेतु पुल के अत्यन्त प्राचीन होने का प्रमाण मिलता है  ये लेख महान देशभक्त और क्रांतिकारी श्री राजीव दीक्षित जी के वाख्यान - क्या राम जी काल्पनिक थे?  को सुनकर लिखे गए हैं  जिसमें यह बताया गया है जो कि बिल्कुल सत्य है  इसमें किसी प्रकार का उलटफेर नहीं किया गया है।
दुनिया का सबसे पहला पूल

आज से कई लाख वर्ष पहले श्री राम जी ने
लंका जाने के पुल बनाया था वो पुल आज भी सुरक्षित है। बस इतना ही अंतर है कि पहले वो समुन्द्र के उपर था ,आज  समुन्द्र में नीचे है  नीचे कैसे चला गया हो सकता है पिछले कुछ लाख वर्षों में दो चार है हज़ार बार सुनामी आ गया हो। और सुनामी आता है तो मंजिलो मंजिलो बिल्डिंग डूब जाती है तो ये पुल भी डूब गया हो। लेकिन डूबने के बाद भी वो टुटा नहीं है सुरक्षित है और फोटोग्राफ्स बताते हैं और वो साफ दिख रहा है फोटोग्राफ्स बताते हैं जो पत्थर हैं उनको किलों से जोड़ा गया है। और किलें इस मेटल के हैं जो लाखों साल में पानी में रह कर भी क्षरण नहीं हुए कहीं कहीं पत्थर के बीच में चुना लगाया गया है वह साफ दिखता है सीमेंट कहीं नही है क्योंकि सीमेंट था भी नहीं तो चुने और किले से जोड़े हुए पत्थर अभी तक सुरक्षित है टूटे नहीं हैं और उससे भी बड़ी बात ये है कि उस पूरे पुल पर क्रेक नहीं हैं कहीं भी एक क्रेक भी नहीं हैं हम सीमेंट की अच्छी से अच्छी बिल्डिंग बनाते हैं  और आरसीसी का लेंटर डालते हैं दो चार साल में ही करेक्स आ जाते हैं।लेकिन उसमें कोई क्रेक भी नहीं हैं। उसकी एक और बड़ी विशेषता है जो पुल है ना वो z शेप में बना हुआ है अभी जो पुल बनते हैं वो सीधी लाइन होती है। एक सीधी रेखा में दीवार खड़ी करते हैं तो डैम (बाँध) बन जाता है।लेकिन वो पुल z शेप का बना है शायद
इसलिये की समुन्द्र के पानी का प्रेशर बहुत होता हो तो उस प्रेशर को इकव्यली डिस्ट्रीब्यूट करना हो तो ये शेप सबसे अच्छा है क्योंकि इसमें कई दीवार आ जाएंगी। हर दीवार पर प्रेशर डिस्ट्रीब्यूट हो जाएगा तो उसकी लाइफ बढ़ जाएगी। इतनी अक्ल हिंदुस्तान के लोगों को आज से आठ साढ़े आठ लाख साल पहले थी और जानते हैं इस पुल का डिज़ाइनर कौन ? नल और नील यानी
 The Great Great Construction Engineer


नल और नील दोनों ने बना दिया पुल और अब नासा कहता है दुनिया को पुल बनाने की तकनीक शायद  भारत से गई होगी क्योंकी दुनिया में इसके पहले कोई पुल बना था इसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता तो उस पुल पर से जाकर राम की सेना वापस आई। नल और नील और राम का एक सवांद है रघुवंशम है।
 नल और नील कह रहे हैं हम पुल बना देंगे आप परेशान मत होइये पत्थर की मदद से बना देंगे। राम पूछ रहे हैं ये समुन्द्र के पानी में पत्थर तैरेंगे कैसे उन्होंने कहा वो आपकी चिंता नहीं है हमारी है
राम ने कहा आपके पास तकनीक क्या है ? तो उन्होंने कहा पहले हम पत्थर को लेके नाव डुबोयेंगे डुबते डुबते वो ऊपर तक आएंगी कंस्ट्रक्शन शुरू करेंगे राम ने कहा कितना दिन लगेगा वे बोले जो लगे सो लगे लेकिन पुल बना देंगे  तो राम पूछ रहे हैं ये पुल बनेगा तो जाएंगे तो सही लौट के आएंगे कि नहीं?
तो उन्होंने कहा मैं आपको गारंटी देता हूँ। जो अपनी सेना है वो तो लौट के आएगी पर रावण की सेना इस पर आई  तो ये डूब जाएगा। कैसे डूब जाएगा? तो वो कह रहे हैं हमने इसका जो हिसाब निकाला है न पूरा  आपकी सेना में सब वानर है और जब वो चलते है ना तो कम प्रेशर डालते हैं।
 आपने देखा होगा उनके पंजे  भगवान ने कुछ ऐसे बनाये हैं कि उनके पंजे का जमीन पर टिकना बहुत कम दबाव डालता है और वो ऐसे ऊर्जा के मलिक है वानर जैसे ही पंजा टिका तुरंत छलांग लगाते हैं और वे लगातार 1 या 2 किलोमीटर तक जम्प कर सकते हैं वो तो निकल जाएंगे सब के सब। हमने कुछ डिज़ाइन ऐसा रखा है जो रावण की सेना आई तो ये डूब जायेगा। क्यूंकि रावण की सेना में सब राक्षस हैं। और राक्षस शरीर में भारी हैं और भारी होने के साथ दबाव ज़्यादा डालते हैं । तो ये पुल टूट जाएगा और वो मार जाएंगे इसलिए हम विजयी होंगें हारने का कोई चांस नहीं ।
तो ये कितनी क्वालिटी के चीज़ है  और ये क्वालिटी की चीज़ किसी देश में आई हो तो मैं मान सकता हूँ उस पुल को बनाने का मैटेरियल उस जमाने में रहा हो और उस पुल को बनाने वाले जो लोग रहे नल ,नील जैसे पता नहीं कितने उनको और भी बहुत कुछ ज्ञान आता हो।
साभार:श्री राजीव दीक्षित जी।
( इतिहास खुद गवाह है । सत्य को कभी जुठलाया नहीं जा सकता।)



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Thursday 1 August 2019

खुद को देखा जो मैंने
मंजिल पर कदम रखा जो मैंने
न जाने हम कहाँ खो गए
न जाने किस याद में हम बह गए

याद आता है मुझे
ख्याल तुम्हारा भी
नहीं बैठे हम चुपचाप
बिना कुछ सोचे ही
बस जिंदगी के कुछ
पहेली में खो गए
ना जाने कितना कुछ
कैसे हम खो चले

देखते हैं हम ख़्वाब
हमेशा तेरे साथ का
नहीं सीखा मैंने जीना
बिना हाथ थामे तेरा
ना जाने कब कोई
तूफान मुझे रोक दे
ना जाने कितना कुछ
कैसे तुम बदल चले

थोड़ा शिकवा भी है
और तुमसे शिकायत भी
लेकिन रहोगे तुम खास
इस जिंदगी में मेरी
बनके सूरज से तुम मेरी
जिंदगी में उजाला करते
फिर हम कितना कुछ
कैसे हम भूल जाएं।

©अनोखी दुनिया

Sunday 28 July 2019

पेप्सी कोकाकोला एक जहर

*पेप्सी  बोली  सुन  कोका कोला।*
*भारत का इन्सान है बहुत भोला।।*

*विदेश  से   मैं   आयी  हूँ।*
*साथ में मौत को लायी हूँ।।*

*लहर   नहीं   ज़हर   हूँ  मैं।*
*गुर्दों पर गिरता कहर हूँ मैं।।*

*मेरी  पी.एच.  दो पॉइन्ट सात।*
*मुझ में गिरकर गल जायें दाँत।।*

*जिंक  आर्सेनीक  लेड   हूँ  मैं।*
*काटे आतों को, वो ब्लेड हूँ मैं।।*

*हाँ    दूध     मुझसे    सस्ता    है।*
*फिर पीकर मुझको क्यों मरना है।।*

*540 करोड़ कमाती हूँ।*
*विदेश में  ले  जाती  हूँ।।*

*मैं  पहुँची  हूँ  आज वहाँ पर।*
*पीने को नहीं पानी जहाँ पर।।*

*छोड़ो  नकल   अब  अकल  से जियो।*
*और जो कुछ पीना संभल के ही पियो।।*

* सबको  यह  कविता  सुनाओ।*
*नीबू पानी पिओ सौ साल जिओ।।*


Friday 26 July 2019

पंक्तियाँ

अब तो स्मार्टफोन ही आजकल
बच्चों को कहानी सुनाने वाली
बन गयी है दादी और नानी
वो भी क्या दौर था जब
बड़े उतावले होते थे बच्चे
कहानी सुनने के लिये
प्यारी सी नींद आंखों में
न जाने कब आ जाती रातों में
जब दादी और नानी सुनाती थी
राजा-रानी, परियों की नई कहानी
पर चला गया है वो उतावलापन
कोई छीन ले गया है बच्चों की
वो प्यारी सी आंखों की नींद
जो अक्सर दादी और नानी के पास
कहानी सुनने के लिए चली आती थी
क्योंकि बच्चों की नानी और दादी
अब स्मार्टफोन बनकर आ गयी है
और बदले में उनके परिवार का अपनापन
और चैन की नींद छीनकर स्मार्टफोन
अपनी कीमत बच्चों से वसूल कर रही है
और उन्हें लुभावनी कहानी सुना रही है।

©अनोखी दुनिया

Wednesday 24 July 2019

कविता-यूँ ही नहीं आई हूँ।

यूँ ही नही इस धरा पर,
जन्म लेकर आई हूँ।
साथ अपने हर सपने को,
साकार करने आई हूँ।
करना चाहती विचरण स्वच्छंद,
खूले नभ में परिंदो की तरह,
ऊंचाईयों को छूनें आई हूँ।

ज्यों होती कोमल कली
वैसी मैं थोड़ी-थोड़ी
कली की तरह खिलकर मैं,
सूगंध हर तरफ फैलाने आई हूँ।
यूँ ही नही इस धरा पर,
जन्म लेकर आई हूँ।

नई उमंग और नए हौसले,
अरमान जो थी अंदर मेरे,
अपने हर हूनर दिखाकर,
पहचान बनाने आई हूँ।
यूँ ही नहीं इस धरा पर ,
जन्म लेकर आई हूँ।
साथ अपने हर सपने को,
साकार करने आई हूँ।
🌷🌷🌷🌷🌷
©अनोखी दुनिया

Tuesday 23 July 2019

कविता - क्यों नहीं दिखाई देता

यूँ तो है दुनिया में ,
बहुत कुछ देखने को।
मगर इसे बनाने वाला,
क्यों नहीं दिखाई देता।

आसमां भी है,
जमीं भी है।
मगर इसे संभालने वाला,
क्यों नहीं दिखाई देता।

कभी बादल से बारिश ,
कभी ज्वालामुखी से अग्नि।
मगर इसे उत्पन्न करने वाला,
क्यों नहीं दिखाई देता।

कहीं पर जन्म है,
कहीं पर मरण है।
मगर यह सब करने वाला,
क्यों नहीं दिखाई देता।

क्या दुनिया में वो मौजूद है।
या किसी माया का,
कोई अनूठा रूप है ।
जो भी हो वह मगर,
क्यों नहीं दिखाई देता।

©अनोखी दुनिया

Monday 22 July 2019

कविताओं की दुनिया

ये कविताओं की दुनिया
आकर्षित करती हैं मुझे
ऐसा लगता है कि
जैसे कोई प्रेमी अपनी
प्रेमिका को आकर्षित करता है
खिंच लाती मुझे अपनी तरफ
ये कविताओं की दुनिया
मेरा दिल भी तो आतुर रहता है
इसे लिखने और पढ़ने के लिए
जितना करीब जाएं इसके
और उतने ही करीब
हम होते चले जाते है
कैसा रिश्ता है ये
मेरा और तुम्हारा
तुम बोलती हो बिना जुबाँ के
और हम जुबाँ के होते हुए भी
लिखते हैं तुम्हें जी भर के
निहारते हैं और मुस्कुराते हैं
तुमसे जब जब मिलते हैं
कभी अपना ख्याल हो
बताना मुझे भी जऱा
ऐ कविता ,
रात बहुत हो गयी
तुम्हें देखते और पढ़ते
चलों सो जातें हैं हम अब
सपनों में मिलने जरूर मुझसे
तुम मिलने आना दुबारा।
🌹🌹🌹🌹
एक कविता प्रेमी की कलम से
©अनोखी दुनिया


Sunday 21 July 2019

कविता - जमाना बदल गया।

       
पिताजी से पापा
पापा से डैडी
डैडी से ये डैड हो गया।
जमाना बदल गया।
माता जी से मम्मी
मम्मी से मम्मा
मम्मा से मोम हो गया
जमाना बदल गया
प्रणाम से नमस्ते
नमस्ते से हैलो
हैलो से हाय डीयर हो गया
जमाना बदल गया
शर्बत से चाय
चाय से कॉफी
कॉफी से शराब हो गया
जमाना बदल गया।
©अनोखी दुनिया

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Saturday 20 July 2019

सपने


किसी सपनों में खोया मैं
परिंदा बन उड़ जाता हूँ।
फिर उसी सपनों की
उड़ान से वापिस मैं
जमीं पर आ जाता हूँ।
काश की ये सपनों के
आसमान की जमीं होती।
©अनोखी दुनिया